क्या अब Donald Trump का असली निशाना India-Russia पार्टनरशिप है? | ट्रंप की न्यूक्लियर सबमरीन स्ट्रैटेजी

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India and Russia Partnership Will Break By Trump?

जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के प्रेसिडेंट बने थे तो सबको लगा था कि उनका टारगेट चीन और पाकिस्तान होगा। लेकिन अब जो देखने को मिल रहा है, उससे लगता है कि ट्रंप का असली निशाना अब इंडिया और रशिया की स्ट्रॉन्ग पार्टनरशिप है।

ट्रंप के तीखे ट्वीट्स – भारत-रूस पर हमला

Donald Trump ने हाल ही में ट्वीट किया था कि,

 “मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है। दोनों अपनी मरी हुई इकॉनमी लेकर डूब जाएं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।”

ऐसी ऑफेंसिव भाषा शायद ही किसी अमेरिकी प्रेसिडेंट ने पहले किसी देश के लिए इस्तेमाल की हो। ये सिर्फ डिप्लोमैटिक नाराजगी नहीं, एक सीधा सिग्नल है कि अमेरिका अब भारत-रूस दोस्ती को सीरियसली देख रहा है।

 न्यूक्लियर सबमरीन का गेम शुरू

अब ट्रंप ने जो किया है, वो सिर्फ बातों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने दो न्यूक्लियर सबमरींस रशिया के बेहद करीब भेज दी हैं। ये एक खुला धमकी भरा कदम है – ट्रंप चाहते हैं कि रशिया यूक्रेन में सीजफायर करे और भारत रूस से तेल न खरीदे।

भारत ने नहीं मानी अमेरिका की बात

न्यूयॉर्क टाइम्स ने कन्फर्म किया है कि भारत अभी भी रूस से ऑयल खरीद रहा है। जो खबरें फैलाई गईं कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है, वो फेक न्यूज थीं। भारत ने अमेरिकी प्रेशर को नजरअंदाज करते हुए अपना नेशनल इंटरेस्ट चुना।

डेड हैंड का डर और ट्रंप का जवाब

अब बात आती है कि ट्रंप अचानक इतने एक्टिव क्यों हुए? 

इसका जवाब छुपा है रशिया के पूर्व प्रेसिडेंट दिमित्री मेदवेदेव के एक बयान में। उन्होंने “Dead Hand” का जिक्र किया – रशिया की वो सिस्टम जो पूरी सरकार खत्म हो जाने पर भी ऑटोमेटिकली न्यूक्लियर मिसाइल लॉन्च कर सकता है।

हालांकि मेदवेदेव का बयान हल्के अंदाज में था, लेकिन ट्रंप ने इसे सीरियसली लिया और उसी का जवाब देते हुए कहा कि अमेरिका को भी न्यूक्लियर अटैक की धमकी मिली है और अब सबमरींस एक्शन में आ चुकी हैं।

रशिया की काउंटर चेतावनी

रशियन सांसदों ने ट्रंप की चेतावनी का जवाब दिया है कि 

“आज के समय में रशियन न्यूक्लियर सबमरींस दुनिया के हर ओशन्स में मौजूद हैं और कुछ तो अमेरिका के भी बेहद करीब हैं।”

सबमरीन की खासियत होती है कि उसकी लोकेशन सीक्रेट रहती है। यही वजह है कि इसे Ultimate Second Strike Weapon कहा जाता है।

भूकंप और सुनामी ने खोल दी रशिया की कमजोरी

हाल ही में 8.8 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था रशिया के फार ईस्ट रीजन में। उसके बाद आई सुनामी ने कई रशियन न्यूक्लियर सबमरीन बेस को नुकसान पहुंचाया है। 

इस बात का फायदा ट्रंप ने तुरंत उठाया – क्योंकि रशिया की न्यूक्लियर सबमरींस इस समय मरम्मत की स्थिति में हैं। यही समय है जब ट्रंप सबमरींस भेजकर रशिया पर प्रेशर बनाना चाहते हैं।

क्या रशिया इंटरसेप्ट कर पाएगा अमेरिकी सबमरींस को?

अब अहम सवाल ये है कि क्या रूस इन अमेरिकी सबमरींस को Intercept कर पाएगा

अगर कर पाया, तो ये दिखाएगा कि रूस अब भी मजबूत है। 

अगर नहीं कर पाया, तो ट्रंप और ज्यादा दबाव डालेंगे और शायद और सबमरींस भेजेंगे।

अब सबकी निगाहें पुतिन पर

अगर रूस अपनी वीकनेस मानता है, तो उसे अमेरिका की सीजफायर की शर्तें माननी पड़ सकती हैं। और अगर नहीं मानता, तो एक नए न्यूक्लियर फेसऑफ का खतरा पैदा हो सकता है।

ट्रंप का इंटिमिडेशन टैक्टिक यहां पूरी तरह दिख रहा है – एक प्राकृतिक आपदा का फायदा उठाना, रशिया को कोने में धकेलना और भारत पर भी अप्रत्यक्ष दबाव बनाना।

भारत की पोजीशन मजबूत लेकिन संवेदनशील

भारत फिलहाल रणनीतिक स्वतंत्रता की नीति पर चल रहा है। 

न अमेरिका की बात मानी, न रूस से दूरी बनाई। 

लेकिन आने वाले समय में अगर ट्रंप और आक्रामक होते हैं, तो भारत पर दो तरफा दबाव बन सकता है – एक आर्थिक और दूसरा रणनीतिक।

निष्कर्ष:

 ये शतरंज का खेल है, जिसमें चाल हर दिन बदल रही है।

जियोपॉलिटिक्स अब सिर्फ बैठकों और मीटिंग्स का खेल नहीं रहा। अब ये न्यूक्लियर सबमरींस, सैटेलाइट इमेज और ट्वीट्स का गेम बन चुका है।

ट्रंप का नया फोकस अब इंडियारशिया के रिश्तों को तोड़ने पर है। क्या वो इसमें सफल होंगे? क्या रशिया इस दबाव में आएगा? और क्या भारत इस दबाव में झुकेगा?

इन सभी सवालों के जवाब आने वाले हफ्तों में मिलेंगे।

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