TCS का 57,000 करोड़ का Crash – असली वजह क्या है?

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35% क्रैश और ₹57,000 करोड़ का नुकसान

35% क्रैश ₹57000 करोड़ – इतना पैसा इन्वेस्टर्स का डूब चुका है, वो भी सिर्फ एक साल में और एक कंपनी में। यस, और वो कंपनी है इंडिया की बिगेस्ट आईटी कंपनी यानी TCS

जैसे कि आप देख सकते हैं कि पिछले एक साल में TCS 27% से डाउन है और अपने ऑल टाइम हाई से 33% नीचे है। और अगर मनी लॉस की बात करें तो एट ऑल टाइम हाई, TCS का जो मार्केट कैप था वो 1679000 करोड़ का था जो अभी गिर कर आ चुका है 11 लाख करोड़ पर। यानी staggering ₹571000 करोड़ का लॉस

यह लॉस कितना बड़ा है पता है आपको? यह ITC के मार्केट कैप से भी ज्यादा का है। और अब रिसेंटली कंपनी का जो क्वार्टरली रिजल्ट आया, उसे देखकर लगता नहीं है कि सिचुएशन बदलने वाली है।

TCS करती क्या है?

तो सवाल यह है कि TCS के इस डाउनफॉल के पीछे क्या कारण है? क्या यह कारण एआई है? या फिर एआई बस एक बहाना है और कारण कुछ और?

और बड़ा सवाल यह भी है कि बहुत सारे इन्वेस्टर्स आईटी सेक्टर में इसलिए इन्वेस्ट कर रहे हैं कि उन्हें लग रहा है कि आईटी सेक्टर में जल्दी टर्नअराउंड आ जाएगा और आईटी सेक्टर का अच्छा टाइम आएगा। लेकिन क्या सच में ऐसा होगा?

नमस्कार, मैं प्रसाद आपका आज के इस ब्लॉग में स्वागत करता हूं। सबसे पहले यह समझते हैं कि TCS एक्सैक्टली करती क्या है?

TCS एक आईटी आउटसोर्सिंग कंपनी है और मेजॉरिटी इनके जो क्लाइंट्स हैं वो नॉर्थ अमेरिका से आते हैं।

फॉर एग्जांपल, अगर वहां के किसी बैंक को अपना ऑनलाइन बैंकिंग प्लेटफार्म अपडेट करना है और उसे और यूजर फ्रेंडली और नए फीचर्स उसमें ऐड करने हैं, तो अपनी खुद की आईटी टीम बनाने के बजाय वो कई बार इंडियन कंपनीज़ को वो आउटसोर्स करते हैं। फिर TCS उनकी रिक्वायरमेंट को समझकर जो उन्हें चाहिए वो डिलीवर करता है।

क्लाइंट्स क्यों चुनते हैं TCS?

सवाल यह भी आता है कि ज्यादातर मल्टीनेशनल कंपनीज़ इंडियन आईटी कंपनीज़ के साथ काम क्यों करती हैं?

  • पहला कारण: खुद की टीम बिठाने की जरूरत नहीं।
  • दूसरा और बड़ा कारण: बहुत सारा पैसा बचता है।

अगर आप सेम आईटी काम इंडियन कंपनी को आउटसोर्स करते हैं तो लेबर कॉस्ट काफी चीप है।

एग्जांपल के तौर पे बताऊं – एंट्री लेवल सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी जहां पर इंडिया में 3 से ₹4 लाख की है, वहीं पर यूएसए में यह फिगर जाती है करीब ₹62 लाख। और इस चीज का इंडिया की आईटी कंपनीज़ ने पूरा फायदा उठाया है।

रेवेन्यू मिक्स और हालिया झटका

रेवेन्यू मिक्स की बात करें तो अलग-अलग सेक्टर से इनका पैसा आता है। सबसे ज्यादा रेवेन्यू – 30% BFSI सेक्टर से

लेकिन रिसेंटली कंपनी का क्वार्टरली रिजल्ट आया जिसमें यह पता चला कि ईयर-ऑन-ईयर कंपनी का रेवेन्यू 3% डाउन है और नेट प्रॉफिट मात्र 6% से बढ़ा है

TCS के सीईओ का कहना था कि BSNL ऑर्डर की वजह से रेवेन्यू पर इंपैक्ट हुआ। आपको बता दूं कि BSNL का 2 साल का कॉन्ट्रैक्ट था TCS के पास – करीब ₹15,000 करोड़ का – जो रिसेंटली खत्म हुआ। और इसकी वजह से भी रेवेन्यू पर अच्छा-खासा इंपैक्ट पड़ा है।

हालांकि इनको BSNL से एक नई ऑर्डर मिली है लेकिन उसकी साइज सिर्फ ₹2900 करोड़ की है।

ग्लोबल रेवेन्यू स्लोडाउन

रीजन-वाइज देखें तो नॉर्थ अमेरिका से आने वाला रेवेन्यू 2.7% डाउन है। यूके और यूरोपियन यूनियन से आने वाला रेवेन्यू भी नीचे जा रहा है।

और अगर आप इनके प्रोडक्ट सेगमेंट्स पर नजर डालोगे तो चीजें और ज्यादा सीरियस हो जाती हैं। 2022 से लेकर अब तक, किसी भी सेगमेंट में कोई खास ग्रोथ नजर नहीं आ रही – मात्र 2–4% की।

AI बहाना या असली कारण?

अब इस डाउनफॉल के लिए हर कोई AI को ब्लेम कर रहा है। बोला जा रहा है कि AI के आने की वजह से लोगों की जरूरत नहीं है। सब कुछ ऑटोमेटिकली कोड हो जाएगा और कंपनी को अपना आईटी सॉल्यूशन मिल जाएगा।

लेकिन सच्चाई यह है कि यह पूरी तरह झूठ है।

क्योंकि इंडिया की आईटी कंपनीज़, including TCS, Infosys, और बाकी – सबको समझ में आ गया है कि AI की वजह से बिजनेस में बहुत सारे चेंजेस होंगे। अगर उन्होंने AI को अडॉप्ट नहीं किया तो उनका काम तमाम हो जाएगा।

इसीलिए TCS ने अपने 1 लाख से ज्यादा employees को advanced AI capabilities में ट्रेन किया है। और हाल ही में उन्होंने काफी aggressively AI specialists, data scientists और cloud architects को भी हायर किया है।

रेवेन्यू ग्रोथ की असलियत

नंबर के हिसाब से देखें तो:

  • पिछले 3 सालों में TCS की रेवेन्यू ग्रोथ – CAGR 10%
  • पिछले 5 सालों में भी – CAGR 10%
  • पिछले 10 सालों में भी – CAGR 10%

और यह सिर्फ TCS तक सीमित नहीं है।

  • Infosys- 10%
  • Wipro- 7%
  • HCL Technologies: 10–12%
  • Accenture, Capgemini, Cognizant – सबमें same stagnant revenues.

क्यों रुक गई है ग्रोथ?

इसका सिंपल जवाब है – IT आउटसोर्सिंग इंडस्ट्री ऑलरेडी इतनी बड़ी हो चुकी है कि ग्रोथ के लिए ज्यादा स्पेस ही नहीं बचा।

TCS का सालाना रेवेन्यू ₹5 लाख करोड़ के आसपास है, जिस पर वो करीब ₹50,000 करोड़ का नेट प्रॉफिट बनाते हैं। अब इस लेवल से अगर आपको 15–20% से बढ़ना है, तो डाइवर्सिफिकेशन करना पड़ेगा।

Diversification की जरूरत

अगर कोई कंपनी सिर्फ IT आउटसोर्सिंग में है तो वहां पर हाई ग्रोथ पाना मुश्किल है।

डाइवर्सिफिकेशन के लिए R&D करना पड़ेगा, नई कंपनियां acquire करनी पड़ेंगी। लेकिन इंडिया की और ग्लोबल IT कंपनियां, दोनों ही, R&D में उतना invest करने के लिए रेडी नहीं हैं।

यही कारण है कि इंडिया की IT आउटसोर्सिंग कंपनियां product-based या SaaS कंपनियां नहीं बन पा रही हैं।

TCS और Tata Sons का रोल

TCS की पैरेंट कंपनी Tata Sons है जिसके पास 71% स्टेक है। Tata Sons को social responsibility और दूसरी कंपनियों के लिए फंड्स की जरूरत होती है।

इसलिए TCS अपने प्रॉफिट का 70–80% Tata Sons को dividend के रूप में देती है।

2014 से अब तक TCS ने लगभग ₹2,38,000 करोड़ (30 बिलियन डॉलर) का डिविडेंड दिया है।

इनोवेशन की कमी

सोचिए, ChatGPT-4 को डेवलप करने के लिए करीब ₹800 करोड़ लगे। अगर TCS उस डिविडेंड का कुछ हिस्सा R&D में डालती, तो शायद इंडिया का भी एक global AI product होता।

लेकिन जब कंपनी बहुत बड़ी हो जाती है तो रिस्क लेने से डरती है। इसी वजह से इनोवेशन की कमी साफ नजर आती है।

मिडकैप और स्मालकैप कंपनियों की ग्रोथ

पूरा IT सेक्टर डेड नहीं है। मिडकैप और स्मालकैप IT कंपनियां तेजी से बढ़ रही हैं।

  • Coforge → 20–25% CAGR
  • Persistent → पिछले 3–5 सालों में 25% से ज्यादा CAGR

यानि सेक्टर में अभी भी दम है, लेकिन बड़ी कंपनियों के लिए स्केल करना मुश्किल है।

हायरिंग और कॉस्ट कटिंग

TCS और बाकी टॉप IT कंपनियों को अभी भी नए ऑर्डर्स मिल रहे हैं – Q1 में $9.4 बिलियन। लेकिन हाई ग्रोथ नहीं मिल रही।

इसलिए कॉस्ट कटिंग शुरू हो गई है।

  • TCS – 12,000 employees निकाल रही है।
  • पिछले 1 साल में 1000 से भी कम employees हायर किए।
  • Salaries भी stagnant हैं।

क्या IT आउटसोर्सिंग डेड है?

कंक्लूजन: IT आउटसोर्सिंग डेड नहीं है। प्रोजेक्ट्स का फ्लो जारी रहेगा। लेकिन fast growth के लिए कंपनियों को डाइवर्सिफाई करना ही पड़ेगा।

  • लार्ज कैप कंपनियां (TCS, Infosys, Wipro, HCL) → stagnation
  • मिडकैप और स्मालकैप → तेज ग्रोथ

इंडियन IT कंपनियों के लिए हाई टाइम

आज multiple AI platforms (ChatGPT, Perplexity, Grok) ग्लोबल हैं। कोई भी इंडियन नहीं है।

सोशल मीडिया, सर्च इंजन, वीडियो एडिटिंग – सब foreign platforms dominate कर रहे हैं।

चाइना अपने AI ecosystem में तेजी से आगे बढ़ रहा है। जबकि इंडिया की टॉप IT कंपनियां R&D में पैसा नहीं लगा रहीं।

यह हाई टाइम है कि TCS, Infosys जैसी कंपनियां R&D और acquisitions पर फोकस करें।

Final Conclusion यह रहेगा की

अगर इंडिया की टॉप IT कंपनियां कुछ नया नहीं करेंगी तो आने वाले 5–10 सालों तक वही 7–10% ग्रोथ चलती रहेगी।

लेकिन अगर R&D और innovation में bold कदम उठाए जाते हैं, तो गेम पूरी तरह बदल सकता है।

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