TATA MOTORS की कहानी: शुरुआत से सफल BRAND तक का सफर

टाटा मोटर्स को आज हम भारतीय बाजार के प्रमुख ऑटोमेकर में से एक के रूप में जानते हैं। कंपनी ने कई वाहन सेगमेंट में अपने पैर पसारे हैं और बिक्री तथा ब्रांड इमेज की दृष्टि से भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि टाटा मोटर्स की शुरुआत कैसे हुई और उनके उतार-चढ़ाव क्या रहे? चलिए इस कहानी को सरल हिंदी में समझते हैं।
टाटा मोटर्स का मुख्यालय मुंबई में है और यह टाटा समूह का हिस्सा है, जो कई अलग-अलग सेक्टरों में काम करता है। टाटा मोटर्स कार, बस, ट्रक, वैन और डिफेंस वाहन बनाती है। इसकी स्थापना 1945 में हुई थी, जो आजादी से दो साल पहले था। इसे शुरू में टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी (TELCO) कहा जाता था और यह लोकोमोटिव बनाने वाली कंपनी थी।

1954 में टाटा मोटर्स ने Daimler Benz AG के साथ मिलकर पहला कमर्शियल वाहन बनाया। यह साझेदारी 1969 तक चली। 1988 में टाटा मोटर्स ने अपना पहला पैसेंजर वाहन Tata Mobile लॉन्च किया, फिर क्रमशः 1991 में Tata Sierra, 1992 में Tata Estate, 1994 में Sumo, और 1998 में पहला Safari लॉन्च किया।
1998 में टाटा इंडिका लॉन्च हुआ, जो भारत की पहली इंडिजिनस कार थी। इसे इटली की आईडिया कंपनी ने डिजाइन किया था। शुरुआत में इस कार का प्रदर्शन मेixed था, लेकिन इसके स्पेसियस इंटीरियर और ईंधन दक्षता की वजह से यह सफल हुई। बाद में 2000 में इंडिका V2 लॉन्च हुआ, जो कि और भी बेहतर था और इसने Hyundai और Maruti Suzuki जैसी कंपनियों को टक्कर दी।
2004 में टाटा मोटर्स ने दक्षिण कोरियाई ट्रक निर्माता Daewoo Commercial Vehicles कंपनी को खरीदा और इसे टाटा Daewoo नाम दिया। 2005 में टाटा मोटर्स न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुई।
2008 में टाटा मोटर्स ने Ford से Jaguar Land Rover का अधिग्रहण किया, जो एक ऐतिहासिक कदम था।

2010 से 2015: कमजोर होते बाजार हिस्सेदारी और पुरानी कारें
2010 में टाटा मोटर्स का बाजार हिस्सा 13.7% था, लेकिन 2015 तक यह घटकर मात्र 4.6% रह गया। इसका मुख्य कारण यह था कि कंपनी की कारें पुरानी और नीरस लग रही थीं। Hyundai, Maruti Suzuki, Honda, Toyota जैसी कंपनियां आधुनिक और आकर्षक कारें लेकर आ रही थीं, जबकि टाटा मोटर्स की कारें पुराने जमाने की दिखती थीं और युवाओं को आकर्षित नहीं कर पा रहीं थीं।
Indica, Indigo, Manza, Vista सभी मॉडल ज्यादा आकर्षक नहीं थे। Safari Storm की बिक्री धीमी हुई और Mahindra Scorpio ने उसका बाजार हिस्सा खा लिया। Tata Nano भी औसत बिक्री ही कर पाया।
कंपनी को बड़ा बदलाव करने की जरूरत थी। उन्हें नए, युवा और तकनीकी रूप से बेहतर प्रोडक्ट लाने थे।
2014 के बाद: टाटा मोटर्स का नया अवतार
2014 में Bolt और Zest लॉन्च हुए, जो कुछ बेहतर थे, लेकिन फिर भी पुराने डिजाइनों की याद दिलाते थे। 2016 में Tata Zica (बाद में Tiago) आया, जो कंपनी के लिए एक बड़ा कदम था। Tiago को उसकी स्पेस, फीचर्स, इंजन विकल्प और कीमत के कारण बहुत सफलता मिली।
इसके बाद Tigor भी लॉन्च हुआ, जो कि Tiago का sedan संस्करण था। 2017 में Nexon लॉन्च हुआ, जिसने टाटा मोटर्स की छवि को पूरी तरह से बदल दिया। Nexon ने SUV सेगमेंट में अच्छी पकड़ बनाई।
2018 के Auto Expo में टाटा ने H5X कॉन्सेप्ट दिखाया, जो Harrier SUV का आधार बना। Harrier और उसके बाद Safari नई डिजाइनों के साथ आए और बाजार में जगह बनाई।
Ultras और Punch जैसे नए ग्राउंडब्रेकिंग मॉडल भी आए, जो टाटा के नए Alpha Architecture पर आधारित थे। कंपनी ने अपने Forever Young strategy के तहत नियमित अपडेट देते हुए अपने उत्पादों को ताजा रखा।
सुरक्षा और विविधता पर जोर
टाटा मोटर्स ने सुरक्षा को एक बड़ा मुद्दा बनाया। Nexon भारत की पहली कार थी जिसने 2017 में 5 स्टार Global NCAP रेटिंग प्राप्त की। Tiago, Tigor और Ultra जैसी कारों ने भी अच्छी सुरक्षा रेटिंग पाई।
आज टाटा मोटर्स के पास 5 लाख से लेकर 25 लाख रुपये तक की ICE (Internal Combustion Engine) कारें हैं और 9 लाख से 20 लाख रुपये तक की EV (Electric Vehicle) कारें हैं, जो विभिन्न प्रकार के ग्राहकों की जरूरतें पूरी करती हैं।
ऑटो एवॉक में भविष्य के संकेत
2023 के Auto Expo में टाटा का सबसे बड़ा पवेलियन था, जिसमें उन्होंने EVs और अन्य नए मॉडल दिखाए। कंपनी के EV पोर्टफोलियो में Harrier EV, Curvv EV, Sierra EV, और Avinya शामिल हैं।
वाणिज्यिक वाहनों में प्रगति
टाटा मोटर्स ने वाणिज्यिक वाहनों में भी कई नवाचार किए हैं। Harrier और Safari में जो सुधार किए गए हैं, वे भी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
वर्तमान स्थिति और बाजार

अब टाटा मोटर्स का भारत में बाजार हिस्सा लगभग 14% है। यह Hyundai के साथ दूसरे स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही है। 2020 में टाटा ने अपनी पैसेंजर वाहन शाखा को अलग इकाई बनाने का निर्णय लिया, जिसे 2021 में शेयरहोल्डर्स ने मंजूरी दी।
यह थी टाटा मोटर्स की कहानी, जो निरंतर परिवर्तन के माध्यम से अपनी जगह बना रही है। अगला केस स्टडी Blog महिंद्रा पर होगा।
अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो या आपको किसी अन्य ऑटोमेकर के बारे में केस स्टडी चाहिए हो तो कृपया कमेंट में बताएं। धन्यवाद!