कैसे बने Adani भारत के Coal King? कोयला संकट से साम्राज्य तक की पूरी कहानी।

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Coal King Gautam Adani

AI Generated- Coal King Gautam Adani

नमस्कार, इस पे हम उन मुद्दों पर बात करेंगे जो लोगों को पता तो होने चाहिए लेकिन सब छुपा के रखते हैं। या फिर हमारे देशभक्त मीडिया इनको कोने कर देते हैं फॉर मोर इंपॉर्टेंट इश्यूज। जैसे आजकल टीवी पे न्यूज़ मिलना उतना ही मुश्किल है जितना आईआरसीटी के चिकन करी में चिकन मिलना। अगर आपको और गहराई से जानना है तो दिए गए लिंक पर विजिट जरूर करे। हमारी कोशिश सिर्फ इतनी है कि हम सब थोड़ी गहराई से सोचे और सोचने की आदत ना छोड़ें।

कोल इंडिया की ताक़त और इतिहास

आज की हमारी कहानी है Adani के कोयला किंग बनने की और इसकी शुरुआत होती है Coal India को साइड में करके। 2013-14 में Coal India सरकारी कंपनियों में सबसे बेहतरीन कंपनी मानी जाती थी। Coal India ने सरकारी कंपनी होते हुए साल 2014-15 में भारत सरकार को 10,000 करोड़ का टैक्स दिया था। कोल इंडिया को 2011 में महारत्न का दर्जा दिया भारत सरकार ने। देश में 215 पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेस है। उनमें से यह पांचवी कंपनी थी जिसको यह महारत्न का दर्जा मिला। ये आज भी दुनिया की सबसे बड़ी कोल उत्पादक कंपनी का खिताब रखती है। Public Sector कंपनी को प्राइवेटाइज किया जाता है। तो उसके रीजन यह होते हैं कि वो एफिशिएंट नहीं है। टैक्स पेयर अपने पैसों से चला रहा है। लॉस मेकिंग होगी तो टैक्स पेयर के पैसों का नुकसान होगा कि प्राइवेट प्लेयर आने से एफिशिएंसी बढ़ जाएगी। पर कोल इंडिया के साथ यह कोई भी बातें सच नहीं थी। तो अब सवाल यह है कि जब सब कुछ इतना बढ़िया चल रहा था तो हमारी कोल माइंस Adani को सौंपने की क्या जरूरत पड़ गई? जरूरत पड़ी नहीं। पड़वाई गई। हम बताते हैं कैसे।

कोविड लॉकडाउन और छुपा नोटिफिकेशन

जून 2020 यह वो वक्त था जब पूरा देश कोविड के लॉकडाउन से जूंझ रहा था। माइग्रेंट्स की कतारें सड़कों पर दिख रही थी। लोग डर में जी रहे थे। और इस सबके बीच सरकार चुपके से एक नोटिफिकेशन ले आती है। इस नोटिफिकेशन के तहत प्राइवेट सेक्टर को कोल माइंस में माइनिंग की खुली छूट दी जाती है। आप प्रायोरिटीज देख रहे हैं सरकार की जब लोग पैदल घर जा रहे हैं। दुकानें बंद है। रेलवे ट्रैक्स पर अपना दम तोड़ रहे हैं। काम धंधा थप है। बंदे के पास एक हफ्ते का राशन नहीं है। और इस बीच में सरकार को लग रहा है आपदा में अवसर। इससे पहले तो प्राइवेट कंपनीज़ को बैक डोर एंट्री मिलती थी। पर इस नोटिफिकेशन के बाद प्राइवेट कंपनीज़ के लिए रेड कारपेट बिछ गया। तो इस नोटिफिकेशन से रास्ता तो तैयार हो गया पर एक कहानी की जरूरत थी इसको जस्टिफाई करने के लिए। अब आते हैं अक्टूबर 2021 में।

2021 का “चार दिन का कोयला” नैरेटिव

मीडिया में एक माहौल क्रिएट किया गया कि भारत के पावर प्लांट्स में सिर्फ चार दिन का कोयला। सिर्फ चार दिन सुनते ही सब लोग फुल पैनिक में हैं। दादा सोच रहा है कि मैं लटिन के नीचे पड़ा था। अब मेरा पोता भी लैंटन के नीचे पड़ेगा क्या? अब एंट्री होती है एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूसर्स के डायरेक्टर जनरल अशोक खुराना की।

खुराना जी का खत और “आत्मनिर्भर” नैरेटिव

अशोक खुराना जी एक खत लिखते हैं कोल सेक्रेटरी को जिसमें यह मीडिया की न्यूज़ का हवाला देते हुए वो कहते हैं कि हमें और कोयला खोदने की जरूरत है। जब एक तरफ यह कोल शॉर्टेज की अफवाह फैलाई जा रही थी, वहीं कोल मिनिस्ट्री संसद में खड़े होकर कह रही है कि कोई कोल शॉर्टेज नहीं है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर ने भी वही कहा कि कोल के प्रोडक्शन में कोई कमी नहीं है। यह शॉर्टेज थर्मल पावर प्लांट्स में सही तरह से स्टॉकिंग नहीं होने की वजह से हो रही थी। जब मीडिया यह झूठ फैला रहा था कि कोल की शॉर्टेज है तब क्रिया की रिपोर्ट के हिसाब से 2022 में हमने सबसे ज्यादा कोल प्रोड्यूस किया था। 2021 से 8.5% ज्यादा। चल क्या रहा है? शॉर्टेज है या नहीं है?

https://energyandcleanair.org/?s=Coal

CREA(Centre for Research on Energy and Clean Air) की रिपोर्ट ने एक और चीज हमें बताई कि जितना हमारी माइनिंग कैपेसिटी है उसका हम आधा ही इस्तेमाल कर रहे हैं। तो जो हमारे एकिस्टिंग माइंस है उसमें हम ज्यादा माइनिंग करके शॉर्टेज को ओवरकम कर सकते हैं। इन शॉर्ट खुराना जी एकदम गलत थे कि हमें नए खजाने खोलने की जरूरत है। लगता है यही सरकार की स्क्रिप्ट थी। खुराना जी आते हैं पैनिक क्रिएट करते हैं और तो सरकार उस वक्त कह रही है कि डिमांड के अचानक से बढ़ जाने से यह प्रॉब्लम आ गई पर कैसे? आपके पास तो डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के फ्यूचर कैबिनेट मिनिस्टर है।

अब CREA(Centre for Research on Energy and Clean Air) का कहना है कि जो ट्रेंस ऑलरेडी पावर प्लांट जा रही है उसमें अगर 50 डिब्बे और जोड़ दिए जाए तो फिर यह शॉर्टेज से निपटा जा सकता था। अब आसान क्या है? ट्रेन में 50 डब्बे जोड़ना या नई कोयले की खदानी खोदना? गुड क्वेश्चन। डिमांड के अचानक बढ़ने से शॉर्टेज हो गई। मतलब सच में अब तो शायद बोल दे। अब पीपल्स कमीशन ऑन पब्लिक सर्विज एंड पब्लिक सेक्टर हमें बता रही है कि अगर शॉर्टेज हुआ भी तो सरकार का काम है ना फोकास्ट करके उसे स्टॉप करना। अगर यह शॉर्टेज है भी तो सरकार की नाकामी की वजह से है ना। क्यों सरकार यह शॉर्टेज प्रेडिक्ट नहीं कर पाई? एक नॉर्मल घर में जहां गैस सिलेंडर यूज़ होता है और अगर चार गेस्ट आ जाए तो हम सबको पता है कि गैस सिलेंडर जल्दी खत्म होगा ज्यादा खाना बनेगा ज्यादा चाय बनेगी ज्यादा गैस यूज़ होगा तो आप क्या गैस सिलेंडर के खत्म होने के लिए रुकेंगे क्या आप मंगा लेंगे ना दूसरा सिलेंडर और अगर यह आप कर सकते हैं तो यह आपकी सरकार कोयले के लिए क्यों नहीं कर सकती? क्यों यह न्यूज़ आई कि चार दिन का ही कोयला बाकी है पूरे देश में। रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने भी लिखा था कि एक्सपर्ट्स ऑलरेडी यह आशंका जता रहे हैं कि कोल्ड शॉर्टेज का हवाला देकर यह और खदाने प्राइवेट प्लेयर्स के हाथ में डालने की सीधी-सीधी साजिश है।

पर्यावरण मंत्रालय बनाम कोल मिनिस्ट्री

और मैं आपको बता दूं यह तो अभी शुरुआत है। खुराना जी ने अपनी चिट्ठी में मोदी जी का फेवरेट वर्ड आत्मनिर्भर यूज करके कहा कि अगर हमें कोल शॉर्टेज से डील करना हुआ तो हमें भारत के घने जंगलों में कोयले के खदान खोदने पड़ेंगे। अब इंटरेस्टिंग बात यह है कि इसी सरकार की एनवायरमेंट मिनिस्ट्री ने कुछ 15 कोल ब्लॉक्स पे बहुत सीवियर एनवायरमेंटल कंसर्न्स की वजह से कोल माइनिंग पे टोटल रोक लगा दी थी। पर होता क्या है? सीएमपीडीआई जो इनकी बनाई हुई कमेटी थी वो कोल मिनिस्ट्री को केएलपीडी दे देती है। हम हमेशा सिर्फ सरकार की आलोचना नहीं करते। एनवायरमेंटल मिनिस्ट्री ने जो कहा है कि ये कोल ब्लॉक्स नहीं खोलने चाहिए तो वो अपना काम ठीक से कर रही है। सीएम पीडीआई जब कहती है कि ये कोल ब्लॉक्स नहीं खोलने चाहिए। वो भी अपना काम ठीक से कर रहे हैं। ओह माय गॉड। अब कोल मिनिस्ट्री ने एनवायरमेंटल एक्सपर्ट्स को बोला भाड़ में जाइए और हम यह कोल माइन खोलेंगे। चार ऐसे ब्लॉक की बडिंग शुरू हो गई। उसमें से एक ब्लॉक पे बहुत लॉबिंग चल रही थी और इस ब्लॉक का सोल बीडर इस पिक्चर के हीरो हमारे Adani जी

Adani की एंट्री

एक ब्रेक लेके इस पे थोड़ा सोचते हैं। आप बोल रहे हो कि मुझको फर्क नहीं पड़ता कि कोल कहां से आता है और बिजली कहां जाती है। कोल कोल इंडिया लाता है या Adani लाता है। मुझको फर्क नहीं पड़ता। फर्क पड़ता है और हम बताते हैं क्यों।

https://www.ft.com/content/7451f2de-91fa-49f3-acb3-e83ab5c00eff

Adani का कोयला खेल

अब Financial Times की एक इन्वेस्टिगेशन बताती है कि Adani ने इंडोनेशिया से कोयला इंपोर्ट किया। इंडोनेशिया से निकल के जब उसके गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पे वो सेम कोयला पहुंचा। यह जर्नी में कोयले का दाम डबल हो गया। फाइनेंसियल टाइम्स की एक और इन्वेस्टिगेशन हमें यह बताती है कि Adani ने इंडोनेशिया से लो ग्रेड कोयला इंपोर्ट किया और उसको हाई ग्रेड कोयले के रेट में बेचा। लो ग्रेड कोयला और हाई ग्रेड कोयले में डिफरेंस है। लो ग्रेड कोयला जलेगा ज्यादा, बिजली देगा कम, हाई ग्रेड कोयला जलेगा कम, बिजली देगा ज्यादा। अब यह Adani कोयले के लेनदेन में इतनी हेराफेरी कर रहा है तो जब इसके हाथ में कोयले की खदान ही दे दी जाएगी तो यह क्या-क्या करेगा और अगर आप सोच रहे हैं कि इसका आपको क्या फर्क पड़ सकता है तो शायद आपके बिजली के बिल और आपके फेफड़ों में यह फर्क आप एक दिन देख लेंगे। जब यूपीए की सरकार थी तो कोल स्कैम एक बहुत बड़ा इशू था। आप न्यूज़पेपर खोलें। ज़ीरो पे ज़ीरो लगे हुए हैं।

कोयला घोटाले को लेकर प्रधानमंत्री ने आज सदन में बयान दिया। इसके बाद बीजेपी इस वक्त इसी मामले को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही है। रविशंकर प्रसाद इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे हैं। टीवी चैनल खोले के कोयले की खदान यहां दे दी, इसको दे दी, उसको दे दी। यही न्यूज़ चलते रहा। जब यह सरकार विपक्ष में थी तो यह कोल स्कॅम का हवाला देकर क्या नहीं कहा इन्होंने? केंद्र सरकार के दो मंत्रियों के इस्तीफे के बाद आज बीजेपी ने सबसे बड़ा हमला किया।

कोयले की कालिक में सीधे प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांग लिया और मनमोहन सिंह को चौपट राजा कहा। पूरा का पूरा घोटाला हुआ है। अपारदर्शी तरीके से हुआ है और इसके प्रमुख कौन थे? खुद प्रधानमंत्री प्रमुख थे। अब कोल स्कैम के हिसाब से जो इलीगल था जब ये लोग सत्ता में आए तो उसको लीगल बना दिया। अब रिपोर्टर्स कलेक्टिव हमें बता रहा है कि कैसे सरकार ने कोल ऑक्शन के रूल्स चुपचाप से बदल दिए कि अगर कंपिटिटिव बडिंग ना भी हो कि मतलब बोली लगाने में अगर सिर्फ एक पार्टी भी हो तब भी माइंस सोल बडर को हैंडओवर की जा सकती है।

Adani का कोयला खेल

सिंगरोली के घने जंगलों में 250 मिलियन टन का कोल ब्लॉक Adani को ऐसे ही मिल गया। मोदी है तो मुमकिन हैआज हसदेव जैसे घने जंगल जिसको छत्तीसगढ़ के लंग्स भी बोला जाता है। वो जो हसदेव में आदिवासी Adani के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे हैं वहां वो सिर्फ अपने जल जंगल के लिए नहीं वो आपके लिए भी प्रोटेस्ट कर रहे हैं। कौन चुकाएगा कोयले का भार? तो इस कहानी में हमने आपको बताया कि कोयला किंग Adani को 250 मिलियन टन की कोयले की खदान कैसे अवार्ड हुई। अगर आपको यह स्टोरी पसंद आती है और आप किसी तक पहुंचाना चाहते हैं तो इस blog को शेयर करें।

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