TOYOTA Fortuner: क्यों है भारत में ये SUV सबसे अलग और लोकप्रिय?

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TOYOTA Fortuner: क्यों है भारत में ये SUV सबसे अलग और लोकप्रिय?

How fortuner became powerful In India?

भारत में फुल-साइज़ SUVs की बात हो तो सबसे पहले जो नाम ध्यान आता है, वह है टॉयोटा फॉर्च्यूनर। Ford Endeavour, Mahindra Alturas G4, Mitsubishi Pajero, और MG Gloster जैसे मॉडल भी इस सेगमेंट में आते हैं, लेकिन आज उनमें से केवल टॉयोटा फॉर्च्यूनर ही बाजार में टिकाया हुआ है। और ये सिर्फ टिकाया ही नहीं, बल्कि लगभग हर महीने दो से तीन हजार यूनिट्स तक बिक रही है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि आखिर टॉयोटा फॉर्च्यूनर ने भारत में इतनी ज़बरदस्त पहचान क्यों बनाई, जबकि इसके मुकाबले के अन्य प्रीमियम SUV मॉडल या तो कम बिके या जल्दी ही बाजार से गायब हो गए।

क्या है फॉर्च्यूनर की खासियत जो इसे बाकी SUVs से अलग बनाती है?

टॉयोटा फॉर्च्यूनर आज भारत में सिर्फ एक कार नहीं, बल्कि एक ब्रांड की तरह स्थापित हो चुकी है। इसके लोकप्रिय होने के पीछे कई कारण हैं, जो इसे बाकियों से अलग पहचान देते हैं:

  1. विश्वसनीयता और ब्रांड वैल्यू
    टॉयोटा का नाम ही भरोसे का पर्याय है। भारत में टॉयोटा की पुरानी कारों जैसे क्वालिस और इनोवा ने लोगों के दिलों में अच्छी जगह बनाई है। इस विश्वसनीयता की वजह से ग्राहक फॉर्च्यूनर को खरीदने में विश्वास करते हैं। साथ ही, टॉयोटा के मजबूत आफ्टर-सेल्स सर्विस नेटवर्क ने इसे और भी मजबूत बनाया है।
  2. इंजन और प्रदर्शन
    फॉर्च्यूनर के इंजन की बात करें तो यह 3 लीटर टर्बो डीजल यूनिट के साथ आती है, जो 171 बीएचपी की पावर और 343 न्यूटन मीटर टॉर्क प्रदान करती है। इसकी ताकत और परफॉर्मेंस वाहन प्रेमियों का दिल जीत लेती है। इसके 4×4 ड्राइव सिस्टम के कारण यह हर तरह की सड़क पर आसानी से चल सकती है।
  3. डिज़ाइन और रोड प्रजेंस
    फॉर्च्यूनर की डिज़ाइन मर्दाना और आकर्षक है। इसकी मजबूत बॉडी और बड़ा स्वरूप इसे रोड पर एक अलग ही प्रभुत्व देता है। भारतीय बाजार में यह “पावर” का प्रतीक बन चुकी है, खासकर उन लोगों के बीच जो अपने राजनीतिक या सामाजिक कनेक्शन्स दिखाना चाहते हैं।

भारत में फॉर्च्यूनर की कहानी: शुरुआत से आज तक

टॉयोटा ने पहली बार फॉर्च्यूनर को 2004 में थाईलैंड में लॉन्च किया। इसके बाद 2005 में इसे मलेशिया में उतारा गया। लेकिन भारत में यह कार 2009 में आई। लॉन्च के बाद यह कार इतनी ज्यादा पसंद की गई कि पहले छः महीनों में ही 3800 यूनिट्स बिक गईं, जबकि शुरू में प्रति माह केवल 500 यूनिट्स बेचने का लक्ष्य था।

इतना ही नहीं, फॉर्च्यूनर ने भारतीय प्रीमियम SUV मार्केट का लगभग 65% हिस्सा अपने नाम कर लिया। Ford Endeavour और Mitsubishi Pajero जैसी SUVs की बिक्री इससे पहले गिरने लगी थी।

क्या वजहें हैं फॉर्च्यूनर के महंगे होने की?

टॉयोटा फॉर्च्यूनर की कीमत 2009 में लगभग 18 लाख रुपये थी, जो अब लगभग 50 लाख रुपये तक पहुँच चुकी है। यानी कीमत लगभग तीन गुना बढ़ चुकी है। इसके पीछे कई कारण हैं:

  • प्रोडक्ट मिक्स में बदलाव
    टॉयोटा ने अपने प्रॉफिट मार्जिन बढ़ाने के लिए कम लाभ वाले बेस मॉडल्स को बंद किया और सिर्फ प्रीमियम मॉडल्स पर ध्यान दिया। इससे कारों की औसत कीमतें बढ़ीं।
  • कोविड19 का असर
    कोविड महामारी के कारण सप्लाई चेन में भारी बाधा आई, कच्चे माल की कमी और लेबर की कमी की वजह से उत्पादन कम हुआ, जिससे लागत बढ़ी और कीमतें ऊपर गईं।
  • टैक्स और इम्पोर्ट ड्यूटी
    भारत में भारी टैक्स और इम्पोर्ट ड्यूटी की वजह से कारें महंगी होती हैं। फॉर्च्यूनर जैसी प्रीमियम कारों पर ये ज्यादा लागू होती हैं।

वाहनों के महंगे होने में ये सब बड़ी भूमिका निभाते हैं, मगर फॉर्च्यूनर की कीमतों का बढ़ना बाकियों से ज्यादा है।

कैसे फॉर्च्यूनर बन गईपावर का प्रतीक?

भारत में फॉर्च्यूनर अब सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि सत्ता और ताकत का प्रतीक बन चुकी है। इसे अक्सर नेताओं, राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों के बीच देखा जाता है। इसकी बड़ी बॉडी और शाही लुक इसे सड़क पर अलग पहचान देते हैं। यही वजह है कि जब कोई फॉर्च्यूनर ड्राइव कर रहा होता है तो दूसरों में सम्मान के साथ डर भी पैदा होता है।

फॉर्च्यूनर के मुकाबले अन्य SUVs की कहानी

Ford Endeavour, Mahindra Alturas G4, Mitsubishi Pajero, और MG Gloster जैसे चार शुमार SUVs में से:

  • महिंद्रा अल्टूरस G4 की बिक्री इतनी कम थी कि 2021 में यह बंद कर दी गई।
  • Ford Endeavour और Mitsubishi Pajero की बिक्री में भी लगातार गिरावट आई।
  • MG ग्लॉस्टर भी बाजार में ठीक से नहीं टिक पाई।

इनकी बिक्री महीने के 100 यूनिट्स से भी कम रह गई, जबकि फॉर्च्यूनर हर महीने 2000-3000 की बिक्री करती रही।

क्या फॉर्च्यूनर वास्तव मेंओवरप्राइस्डहै?

कई ऑटो जर्नलिस्ट्स मानते हैं कि फॉर्च्यूनर अब भारत में बहुत महंगी हो चुकी है। लेकिन भारतीय ग्राहक इसे खरीदने से पीछे नहीं हटते। इसकी कीमतें बढ़ने के बावजूद, इसकी मांग कम नहीं हो रही।

यह बात समझने की है कि फॉर्च्यूनर की कीमतों में वृद्धि का असर इसके रेसल वैल्यू पर नहीं पड़ा। उदाहरण के तौर पर, 2015 में 26.5 लाख रुपये की फ़ॉर्च्यूनर की वैल्यू 2022 में दूसरी बाजार में लगभग 20 लाख रुपये बनी हुई थी, जो लगभग 70% रिटेन वैल्यू है। वहीं, Ford Endeavour की रिटेन वैल्यू सिर्फ 40% तक गिर गई है।

फॉर्च्यूनर के भविष्य के लिए क्या हैं चुनौतियां?

  • बढ़ती कीमतें
    फॉर्च्यूनर की कीमतों में लगातार वृद्धि जारी है, जो भविष्य में भी जारी रह सकती है।
  • कठिन प्रतियोगिता
    भारत में SUV सेगमेंट में नए नए खिलाड़ी आ रहे हैं, जिन्हें ग्राहकों का ध्यान आकर्षित करना है।
  • आर्थिक बदलाव
    महंगाई और आर्थिक बदलावों का असर ग्राहकों की खरीद क्षमता पर पड़ता है।

निष्कर्ष

टॉयोटा फॉर्च्यूनर ने भारत के SUV मार्केट में अपनी एक खास जगह बनाई है। इसकी विश्वसनीयता, पॉवरफुल इंजन, दमदार लुक, और ब्रांड वैल्यू ने इसे एक ताकतवर ब्रांड बना दिया है। महंगे होने के बावजूद भी इसकी मांग कम नहीं हुई है और यह वाहन प्रीमियम सेगमेंट में पावर और स्टेटस का प्रतीक बनी हुई है। भारतीय ग्राहक इसे सिर्फ कार के तौर पर नहीं, बल्कि एक पावरफुल पहचान के रूप में देखते हैं।

अगर आप भी एक ऐसी SUV चाहते हैं जो सिर्फ वाहन न रहकर आपकी पावर और स्टेटस को दर्शाए, तो टॉयोटा फॉर्च्यूनर आपके लिए एक परफेक्ट विकल्प है।

आपका धन्यवाद! अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर करें और अपने विचार कमेंट में जरूर दें।

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