Bihar Election 2025: 65 लाख वोटर्स लिस्ट से गायब, बदल जाएगा पूरा चुनावी गणित?

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बिहार चुनाव 2025: 65 लाख वोटर्स लिस्ट से गायब, बदल जाएगा पूरा चुनावी गणित?”

Bihar Chunav 2025: 65 Lakh Voters List se Gaayab, Badal Jayega Poora Chunavi Ganit?

वोटर डिलीशन का बड़ा खुलासा

बिहार में एसआईआर के दौरान वोटर रिलीजन का मामला चुनावी गणित को बदलने वाला साबित हो रहा है। कई विधानसभा सीटों से ऐसे आंकड़े आ रहे हैं जो जीत और हार के फासले से भारी हैं, बड़े हैं। बिहार के तीन जिलों से तो ऐसी रिपोर्ट आई है जिनके हिसाब से पिछले चुनाव में विक्ट्री मार्जिन से ज्यादा वोटर्स को लिस्ट से हटा दिया गया है।

ये तीन जिले हैं पटना, मधुबनी और पूर्वी चंपारण।

कितने वोटर्स हटाए गए?

इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार अजिष्णु दास और शजीत कुहिट्टी की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इन तीनों जिलों में से टोटल 10 लाख 63,000 वोटर्स के नाम काट दिए गए हैं।
पूरे प्रदेश में डिलीट हुए वोटर्स की संख्या कितनी है? 65 लाख।
यानी टोटल वोटर डिलीशन का 16.35% इन्हीं तीन जिलों से काटा गया है।

जेंडर और उम्र के आधार पर डिलीशन

रिपोर्ट में इन डिलीट किए गए वोटर्स का पूरा ब्रेकडाउन दिया है।

  • जेंडर के बेसिस पर बात करें तो इन तीन जिलों में से कुल 56,000 से ज्यादा महिला वोटर्स के नाम काटे गए हैं।
  • जबकि 4,95,000 पुरुष वोटर्स के नाम हटाए गए हैं। यह डिलीटेड वोटर्स का 46.65% है।

उम्र के आधार पर देखें तो:

  • 18 से 39 साल के लगभग 4 लाख वोटर्स के नाम हटाए गए हैं। यह टोटल डिलीशन का 37.87% है।
  • 40 साल और उससे ऊपर उम्र के लगभग 6,60,000 नाम काटे गए हैं। यानी 62.68%।

इसका सीधा मतलब यही है कि ऐसे वोटर्स जो एसआईआर प्रक्रिया के दौरान चुनाव आयोग से संपर्क नहीं कर पाए या फिर चुनाव आयोग को मिले नहीं, उनके नाम हटा दिए गए।

डिलीशन के कारण

  • एब्सेंट वोटर्स: 2,25,000+ (21.2%)
  • परमानेंटली शिफ्टेड वोटर्स: 3,90,000+ (36.74%)
  • डेड वोटर्स: 3,42,000+ (32.23%)

यानी सबसे ज्यादा वोट डिलीट हुए हैं परमानेंटली शिफ्टेड कैटेगरी में।

विवादित डेड वोटर्स का मामला

डेड वोटर्स की कैटेगरी इस प्रक्रिया के दौरान सबसे विवादित रही। बिहार में कई बार खबरें आईं कि जिन लोगों को मृत घोषित कर वोट काटा गया, वे जीवित थे। यहां तक कि सुनवाई में शामिल होने या मृत लोगों के साथ चाय पीने जैसे मामलों में भी वोटर्स को मृत बताकर उनका नाम लिस्ट से हटा दिया गया।

चुनावी गणित पर असर

इन तीन जिलों में कुल 36 विधानसभा सीटें आती हैं।

  • 2020 विधानसभा चुनाव में इनमें से 22 सीटें बीजेपी-जेडीयू गठबंधन ने जीती थीं।
  • जबकि 14 सीटें महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) को मिली थीं।

चौंकाने वाली बात यह है कि इन 36 सीटों में से 25 पर डिलीट हुए वोटर्स की संख्या विजेता के विक्ट्री मार्जिन से भी ज्यादा है।

  • इन 25 सीटों में से 18 सीटें बीजेपी-जेडीयू के पास हैं।
  • जबकि 7 सीटें अन्य दलों या उम्मीदवारों के पास हैं।

जिलावार स्थिति

  • पटना: 14 में से 7 सीट प्रभावित
  • मधुबनी: 10 में से 8 सीट प्रभावित
  • पूर्वी चंपारण: 12 में से 10 सीट प्रभावित

कौन सबसे ज्यादा प्रभावित?

  • सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ 30 से 39 साल का एज ग्रुप।
  • महिला वोटर्स के नाम पुरुषों से ज्यादा काटे गए।
  • महिलाओं के लिए सबसे बड़ा कारण बताया गया – शादी के बाद स्थाई रूप से शिफ्ट होना।
  • पुरुषों के वोट सबसे ज्यादा डिसीज्ड (मृत घोषित) कारण पर काटे गए।

विपक्ष का आरोप

विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग ने बीजेपी के साथ मिलकर वोट चोरी की है। आरोप ये भी है कि कई जीवित वोटर्स को मृत बताकर उनका नाम हटा दिया गया। यही कारण है कि बिहार में वोटर अधिकार यात्रा भी चल रही है।

आगे की तस्वीर

एसआईआर प्रक्रिया अभी भी जारी है और फाइनल वोटर लिस्ट आनी बाकी है। लेकिन इतना साफ है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रोरल डेमोग्राफिक्स काफी बदल चुके होंगे। यह सिर्फ नंबर्स का खेल नहीं बल्कि बिहार की राजनीतिक तस्वीर बदलने वाला फैक्टर साबित हो सकता है।

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