साल भर जलता रहा मणिपुर: अब करेंगे मोदी जी करेंगे मणिपुर का दौरा

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Narendra Modi Visit to Manipur

Ahead of PM Narendra Modi’s possible Manipur visit, the Centre claims Kuki-Zo groups agreed to free movement and opening of Highway-2. What’s the ground reality and new Suspension of Operation deal?(Image Source- Instagram)

मणिपुर से बड़ी खबर: मोदी दौरे से पहले केंद्र सरकार का दावा

खबर है मणिपुर से। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित दौरे से कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार का एक बड़ा दावा सामने आया है। सरकार ने कहा है कि कुकीजोमी समाज की सिविल सोसाइटी ने मणिपुर में फ्री मूवमेंट पर सहमति जताई है।

हाईवे-2 पर विवाद

खबरों की मानें तो कुकीजो ग्रुप्स ने नेशनल हाईवे दो को भी खोलने का वादा किया है। यह हाईवे असम के डिब्रूगढ़ से मिजोरम के तपांग तक जाता है। बीच में यह मणिपुर से गुजरता है। हालांकि कुकीज जो ग्रुप्स ने इस खबर का खंडन किया है।

क्योंकि जो काउंसिल ने बयान जारी किया है। कहा है कि जिस नेशनल हाईवे दो को रीओपन करने के दावे किए जा रहे हैं, वह तो कभी बंद था ही नहीं। लोगों के आवागमन और सामानों के ट्रांसपोर्ट के लिए इस रोड का इस्तेमाल होता आया था।

ग्राउंड पर स्थिति

हालांकि वस्तु स्थिति बिल्कुल ऐसी भी नहीं है। ग्राउंड पर अगर आप हालत देखेंगे तो समझ आएगा कि लोगों और सामानों की आवाजाही इस रूट से होती तो है लेकिन मैताई और कुकीज जो एक दूसरे के इलाके में आवाजाही नहीं करते हैं क्योंकि उनकी जान को खतरा बना रहता है।

हिंसा और नुकसान

आपको पता ही है कि मई 2023 में मैतई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा शुरू हुई और अब तक कम से कम 260 लोगों की जान चली गई और 60 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए। फरवरी 2025 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीन सिंह ने इस्तीफा दे दिया। कुछ ही दिनों बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SOO) क्या है?

रास्ते खोलने के अलावा एक और बात शुरू हुई है। जानकारी आई है कि केंद्र सरकार और मणिपुर प्रशासन कुकी उग्रवादी संगठनों के साथ नया सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन यानी सु पर दस्तखत करने जा रहे हैं।

यह जो सु है वो क्या है वो भी समझ लीजिए। यह तीन पक्षों के बीच होने वाली संधि है – केंद्र सरकार, राज्य सरकार और उग्रवादी गुट। जब तीनों पक्ष सु पर साइन कर देते हैं तो तय होता है कि उग्रवादी समूह भारत में कहीं भी गैरकानूनी कारवाई नहीं करेंगे। साथ ही उन्हें समय-समय पर अपने बंकर्स और हथियारों की जांच करवानी होती है। बदले में उन पर कोई कानूनी शिकंजा नहीं कसा जाएगा।

पुरानी सहमति और नई कोशिश

2008 में केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार और दो बड़े कुकी उग्रवादी संगठनों, कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन यानी के एनओ और यूनाइटेड पीपल्स फ्रंट यानी यूपीएफ के बीच सु पर सहमति बनी थी। लेकिन साल 2023 में हिंसा की शुरुआत के पहले ही मणिपुर की बीरेंद्र सिंह सरकार ने सु से हाथ खींच लिए और हिंसा शुरू हो गई।

अब दोनों संगठनों के साथ फिर से सु पर सहमति बनी है। 4 सितंबर को हुई मीटिंग में कुकी संगठनों ने यह भी माना कि वे अपने साथ कैंप्स को विवादित इलाकों से हटाकर सुरक्षित जगह ले जाएंगे। कैंप्स की संख्या कम करेंगे और हथियार सुरक्षा बलों को सौंप देंगे। इतना ही नहीं उनके कैडर्स का कड़ा फिजिकल वेरिफिकेशन भी होगा ताकि यह साफ किया जा सके कि उनमें कोई विदेशी नागरिक तो शामिल नहीं है।

निष्कर्ष

इस खबर में फिलहाल इतना ही। यह खबर आपके लिए लिखी थी हमारे साथी आसिफ असरार ने। मैं हूं नेहा दीमान। देखते रहिए द लल्लन टॉक। शुक्रिया।

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