30000 Crore Net Worth: Sanjay Kapur के निधन के बाद कौन होगा वारीस– पूरी कहानी

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Sanjay Kapur Death News Karisma Kapoor’s Ex-Husband & Sona Group Businessman Passes Away Full Story

Sanjay Kapur Death News Karisma Kapoor’s Ex-Husband & Sona Group Businessman Passes Away Full Story

सोना कॉमस्टार सक्सेशन स्टोरी

एक मल्टीबिलियन डॉलर एंपायर और पोलो मैदान पर हादसा

सोचो एक 30000 करोड़ का बिज़नेस अंपायर। एक रॉयल पोलो मैच और उस मैच के बीच एक शख्स जो उस एंपायर का प्रिंस है जमीन पर गिर जाता है। और कुछ ही पलों में जिंदगी खत्म। पर अफसोस यहां पर मातम मनाने का समय किसी के पास नहीं है। क्योंकि ये कहानी है ग्रीड पावर और कॉर्पोरेट परिवार के टकरार की जिसमें दांव पर लगी थी यह मल्टी बिलियन डॉलर कंपनी।

इस कहानी में शामिल है मर्डर के एलगेशंस, बिलियन टेक और सास बहू की जंग जिसने एक लिस्टेड कंपनी को हिला कर रख दिया है और पूरे कॉर्पोरेट वर्ल्ड का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। यह कोई बॉलीवुड या Netflix की स्क्रिप्ट नहीं है। यह है सोना कॉमस्टार की सक्सेशन स्टोरी।

सबसे बड़ा सवालWho Owns the Sona Comstar Empire?

और इस सक्सेशन केस का सबसे बड़ा सवाल यह है कि हु ओन्स द सोना कॉमस्टार एंपायर। जानेंगे इस वीडियो में बहुत ही डिटेल में। नमस्कार, मैं प्रसाद आपका आज के इस वीडियो में स्वागत करता हूं।

सोना ग्रुप का असली वारिस कौन है? इसकी तो हम आज बात करेंगे ही लेकिन उससे पहले बात करते हैं सोना ग्रुप के असली मालिक की यानी संजय कपूर के पिता सुरिंदर कपूर की और इसलिए कहानी को करते हैं रिवाइंड फ्रॉम 2025 टू 1980।

सुरिंदर कपूर और सोना ग्रुप की शुरुआत

सुरेंद्र कपूर का जन्म होता है एक रईस फैमिली में। हालांकि उस टाइम उनका कोई ऑटोमोबाइल बिज़नेस नहीं था। उनका जो फैमिली बिज़नेस था वो था ज्वेलरी बिजनेस का। और सुरिंदर कपूर फिफ्थ जनरेशन थे इस फैमिली बिजनेस के।

इस फैमिली बिजनेस की शुरुआत हुई लाहौर में और आजादी के बाद यह वहां से दिल्ली के कन्नोट प्लेस में शिफ्ट हो गए। बड़े होने के बाद ऑफ कोर्स उनकी फैमिली चाहती थी कि वह फैमिली बिज़नेस ज्वाइन करें। लेकिन सुरेंद्र कपूर उसमें बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नहीं थे। उन्हें दिलचस्पी थी इंजीनियरिंग में। इसीलिए वो यूएसए चले गए इंजीनियरिंग करने।

और जब वो इंडिया रिटर्न आते हैं तो उनकी शादी हो जाती है रौनक सिंह की बेटी से। अब रौनक सिंह कोई मामूली इंसान नहीं है। ही इज़ द फाउंडर ऑफ अपोलो टायर्स। अब जो रौनक सिंह है वह उस जमाने में एक कंपनी स्टार्ट करने का प्लान कर रहे थे। कंपनी का नाम था भारत गियर्स और सुरिंदर कपूर फिर एक्सपीरियंस के लिए उस कंपनी में काम करने लगते हैं।

कुछ सालों बाद सुरिंदर कपूर का जो फैमिली बिज़नेस है उसका बंटवारा हो जाता है और उनके हिस्से में आते हैं ₹50 लाख उस जमाने के और फिर उन्हीं पैसों से उन्होंने बिजनेस शुरू करने का प्लान किया और इसी तरह शुरुआत हुई Sona ग्रुप की।

Maruti Suzuki के साथ जॉइंट वेंचर

1985 में वो Maruti Suzuki के पास चले गए और उनके साथ एक जॉइंट वेंचर बनाया। जहां पर Sona ग्रुप का 10% स्टेक उन्होंने Maruti Suzuki को दिया। बदले में Maruti Suzuki को ऑटोमोबाइल कंपोनेंट Sona ग्रुप प्रोवाइड करेगी।

तो इस तरह की ये इंटरेस्टिंग डील थी। पहले ही साल में यानी 1987 में इन्होंने 7 करोड़ का रेवेन्यू कमाया। 2014 आते-आते सोना करोड़ 7 करोड़ से सीधा 4700 करोड़ के रेवेन्यू पर चली गई।

सुरिंदर कपूर की मृत्यु और संजय कपूर का उदय

सब कुछ सही चल रहा होता है। इसी बीच सुरिंदर कपूर एक बार जर्मनी जाते हैं। वहीं पर 71 साल की उम्र में कार्डियक अरेस्ट से उनकी डेथ हो जाती है।

अब घर में चार लोग उनकी वाइफ रानी कपूर, उनका इकलौता बेटा संजय कपूर और उनकी दो बेटियां सुपरना मोटोव ने और मंदीरा कोयराला। जो विल साइन की थी सुरिंदर कपूर ने उसके हिसाब से सारा बिजनेस रानी कपूर के नाम पर था। पर बिजनेस के दारमदार संभालते हैं संजय कपूर।

कंपनी वही तेजी से आगे बढ़ती रहती है और 2025 आते-आते कंपनी का मार्केट कैप हो जाता है ₹30,000 करोड़ का।

12 जून 2025 – पोलो मैदान पर हादसा

लेकिन इस एंपायर के प्रिंस संजय कपूर के साथ कुछ ऐसा होने वाला था जिसके होने की प्रोबेबिलिटी 0.01% भी नहीं है।

लोकेशन सरे यूनाइटेड किंगडम। हाई सोसाइटी, लग्जरी कार्स, शैंपेन की ग्लासेस और वो इलिट क्राउड जो सिर्फ एक खेल के लिए इकट्ठा होता है। पोलो घोड़े पर 53 साल के संजय कपूर।

गेम अपनी रफ्तार में चल रहा था। तभी एक मधुमक्खी तेजी के साथ उड़ती हुई आई और सीधे संजय कपूर के मुंह में घुस गई। अगले ही सेकंड संजय का चेहरा पीला पड़ गया। उनकी सांस रुकने लगी और वो जमीन पर गिर गए।

सब लोग भागते-भागते वहां पर आए। किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था कि संजय कपूर अपने गले को क्यों पकड़ रहे हैं। माहौल में अफरातफरी थी, लेकिन कुछ ही सेकंड्स में सब कुछ रुक गया। क्योंकि, संजय कपूर अपनी आखिरी सांस उसी मैदान पर उसी जमीन पर ले चुके थे।

संजय कपूर की मौत और वारिस की जंग

पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मौत का कारण

बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह सामने आया कि उनकी डेथ हुई है कार्डियक अरेस्ट से। यानी कि मधुमक्खी उनके गले में अटक गई। उसके चलते वह सांस नहीं ले पाए जिसके चलते उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ। घटना बेहद ही रेयर और दुखद थी।

लेकिन जैसे कि मैंने शुरुआत में कहा कि यहां पर मातम मनाने का टाइम किसी के पास नहीं था। जैसे ही संजय कपूर की डेथ की न्यूज़ बाहर आती है उनके फैमिली का झगड़ा शुरू हो जाता है। और वो लड़ाई है सोना कॉमस्टार के असली वारिस की।

कंपनी का स्ट्रक्चर और ट्रस्ट

देखिए Sona Comstar की बात करें तो कंपनी का 72% हिस्सा पब्लिक शेयर होल्डर्स और इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के पास है और बाकी बचा हुआ 28% Aur Investments Private Limited के पास है जिसे आर के फैमिली ट्रस्ट ओन करती है। जिसके सोल बेनिफिशरी थे संजय कपूर।

लेकिन उनके डेथ के बाद अब सवाल यह था कि अब आर के फैमिली ट्रस्ट को कौन ओन करेगा?

शादियाँ और वारिस

क्योंकि इंटरेस्टिंग बात यह है कि संजय कपूर मैरिड थ्री टाइम्स।

  • उनकी पहली वाइफ थी नंदिता मेहतानी जो कि डिज़ाइनर थी।
  • उनकी दूसरी वाइफ थी करिश्मा कपूर, फेमस एक्ट्रेस।
  • उनकी तीसरी वाइफ थी प्रिया सहजदेव जो कि मॉडल और एंटरप्रेन्योर थी।

अब संजय कपूर को तीन चिल्ड्रंस थे। दो दूसरी वाइफ से यानी करिश्मा कपूर से जिनका नाम है समयरा और कियान और एक लड़का उनकी तीसरी वाइफ से यानी प्रिया सचदेव से जिसका नाम है अज़ेरियस। और इसके अलावा प्रिया की एक और बेटी थी अपने प्रीवियस मैरिज से।

सो असली सवाल यह है कि इनमें से कौन सोना कॉमस्टार का असली वारिस है?

लीगल फाइटरानी कपूर बनाम प्रिया सचदेव

इस सवाल का जवाब मिल पाता, उसी बीच मीडिया में यह रिपोर्ट आने लगी कि संजय कपूर की माताजी यानी कि रानी कपूर और उनकी तीसरी वाइफ प्रिया सचदेव इनके बीच लीगल फाइट शुरू हो चुकी है।

रानी कपूर ने यहां तक यह तक कह दिया कि उनके बेटे की डेथ कोई एक्सीडेंट नहीं है बल्कि एक सोची समझी मर्डर की साजिश है। इसी के साथ उन्होंने यह भी आरोप किया कि उन्हें बहला फुसला के उनसे सारे डॉक्यूमेंट साइन किए गए और कंपनी का पूरा कंट्रोल प्रिया सजदेव को दिया गया।

जबकि उनका कहना है कि उनके पति के विल के हिसाब से वो यानी रानी कपूर ही आर के ट्रस्ट की सोल बेनिफिशियरी है।

कंपनी बोर्ड का पक्ष

लेकिन वहीं पर हम कंपनी पॉइंट ऑफ व्यू से बात करें तो कंपनी बोर्ड के हिसाब से चीजें बहुत अलग हैं।

उनका यह कहना है कि रानी कपूर का 2019 के बाद कंपनी से कोई लेना देना नहीं है। और जहां तक बात रही शेयर होल्डिंग की तो Sona Comstar के मात्र 25-30 शेयर्स उनके पास है।

और कंपनी के बोर्ड के हिसाब से कंपनी का जो असली वारिस है वह है प्रिया सचदेव के बेटे अज़ेरियस जो कि अभी सिर्फ 7 साल के हैं। क्योंकि उनके बेटे सिर्फ 7 साल के हैं इसलिए प्रिया सचदेव कंपनी को संभालेगी।

AGM और नई नियुक्ति

रानी कपूर इस सारी चीज को साजिश समझती है और उन्होंने कंपनी के बोर्ड को एक लेटर भी लिखा जिसमें उन्होंने रिक्वेस्ट की कि आप अपनी जो एनुअल जनरल मीटिंग है यानी एजीएम है उसे पोस्टपोन कीजिए।

पर बोर्ड ने उनके सुने बिना 25 जुलाई को एजीएम बुलाई और प्रिया सचदेव को नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर बना भी दिया।

और कंपनी के बोर्ड ने यह धमकी भी दी है रानी कपूर को कि अगर आप मीडिया में हमारे खिलाफ कुछ भी बोलते हैं तो हम आपके खिलाफ लीगल एक्शन लेंगे।

ट्रस्ट डॉक्यूमेंट्स का रहस्य

अब इस केस में एक और कड़ी है कि आर के ट्रस्ट के जो की डॉक्यूमेंट्स हैं वो पब्लिक नहीं है।

सो हमें पता नहीं कि डॉक्यूमेंट्स में क्या है? या फिर डॉक्यूमेंट्स के हिसाब से क्या सही में रानी कपूर आर के ट्रस्ट के असली ओनर है या फिर उनके पोते अज़ेरियस इसके असली मालिक है या फिर संजय कपूर की एक्स वाइफ करिश्मा कपूर के दो बच्चे इसके असली ओनर हैं।

We still don’t know. But the fight is not over yet.

संभावित दावेदार

इस केस में संजय कपूर की मां, संजय कपूर की दो बहनें, उनके एक्स वाइफ करिश्मा कपूर, उनके दो बच्चे — कोई भी यहां पर दावा कर सकता है। पर फिलहाल प्रिया सजदेव इज़ ऑन द बोर्ड।

पुलिस जांच और केस क्लोजर

वहीं दूसरी तरफ संजय कपूर की मां ने जो एलगेशंस लगाए थे मर्डर के, उस पर यूके की जो पुलिस है उन्होंने यह कहा है कि हमने यहां पर पूरा इन्वेस्टिगेशन किया और हमें यह पता चला कि यह एक नेचुरल डेथ है।

और इसी के चलते उन्होंने यह केस क्लोज कर दिया है। अब फिलहाल रानी कपूर is still trying to reach the higher authority in the UK इस मैटर को और आगे इन्वेस्टिगेट करने के लिए।

इंडिया में फैमिली बिजनेस की लड़ाई

एक बात ध्यान देने वाली है कि इंडिया में यह पहली ऐसी फैमिली नहीं है जो बिजनेस कंट्रोल के लिए लड़ रही है। यह पहले भी हुआ है।

  • हमने अनिल अंबानी वर्सेस मुकेश अंबानी के केस में देखा 3-4 साल दोनों भाइयों की फाइट चली क्योंकि धीरूभाई अंबानी कोई विल ही छोड़कर नहीं गए थे।
  • फिर आखिर में उनकी मां ने समझौता किया और बिजनेस को बांटा गया।
  • रेमंड में देखा कि कैसे गौतम सिंघानिया ने अपने पिता को ही बिजनेस से और घर से निकाल दिया।
  • लोढ़ा ग्रुप में भी रिसेंट न्यूज़ थी कि दोनों भाइयों में डिस्प्यूट चल रहा है।
  • बजाज में भी आज से 20 साल पहले डिस्प्यूट चल रहे थे।

और यह इंडिया में इसलिए होता है क्योंकि इंडिया में 90% बिजनेस फैमिली ओन है और सिर्फ 10% ऐसे हैं जो प्रोफेशनली रन होते हैं।

अच्छा उदाहरणBajaj Group

लेकिन यहां पर एक अच्छा एग्जांपल अगर किसी का है तो वो है Bajaj ग्रुप का।

Bajaj ग्रुप काफी अलग है क्योंकि उन्होंने अपने फैमिली डिस्प्यूट्स को बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से मैनेज किया है। उन्होंने अपने इंटरनल कॉन्फ्लिक्ट्स को हैंडल करने के लिए एक फैमिली काउंसिल बनाई है और उसके साथ ही उन्होंने फैमिली कॉन्स्टिट्यूशन बनाया है।

जिसमें यह सारी चीजें पहले से डिफाइन की गई हैं कि बिजनेस किस तरह से चलेंगे, फैमिली के गोल्स कैसे होंगे, प्रोफेशनल गोल कैसे होंगे।

इनफैक्ट कॉन्स्टिट्यूशन के हिसाब से यह सारे बिज़नेसेस प्रोफेशनली ही मैनेज किए जाएंगे और फैमिली बस स्ट्रेटेजिक डिसीजंस में ही इन्वॉल्व होगी।

और यह सब कंपनियां ट्रस्ट के अंदर काम करती हैं।

ट्रस्टएक बड़ा टॉपिक

अब ट्रस्ट अपने आप में एक बहुत बड़ा टॉपिक है। अगर आप चाहते हैं कि इस पर हम एक अलग से इंटरेस्टिंग वीडियो बनाएं डिटेल में तो टाइप कीजिए कमेंट में “Trust” और हम एक वीडियो बनाएंगे।

निष्कर्ष

तो इस पूरी Sona Comstar केस से हमें क्या सीख मिलती है?

  • ऐसे बिज़नेस से आप दूर ही रहिए जहां पर फैमिली दिक्कतें और झगड़े चल रहे हों।
  • ऐसी कंपनियों की तरफ जाइए जहां पर Bajaj की तरह सारी चीजें पहले से सॉर्टेड हों।

और ये पूरा एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस का ही एक पार्ट है।

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