आप नहीं जानते, मराठा आरक्षण क्यों ज़रूरी है? – संपूर्ण विश्लेषण

Why Is Maratha Reservation Necessary — Complete Analysis(Source-AI)
भूमिका
नमस्कार, महाराष्ट्र में पवार साहब 40 वर्ष का हाथ था, नहीं हुआ? मराठा आरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है? और आखिरकार मराठा आरक्षण क्यों देना चाहिए? अगर यह भी प्रश्न आपके मन के अंदर उभर रहा है तो यह Article स्पेशली आपके लिए बनाया गया है।
मराठा आरक्षण क्यों चाहिए?
इसलिए आज हम चर्चा करने वाले हैं मराठा आरक्षण क्यों चाहिए और क्यों आवश्यकता पड़ रही है आज हमारे हिंदू समाज को आरक्षण मांगने की। इसका संपूर्ण विश्लेषण समझने के लिए और इस आर्टिकल पढ़ीयेगा तभी आप लोग को समझ में आएगा विषय क्या है और इसे क्यों बात करना अनिवार्य था।
कर्जत कोपरडी कांड और मराठा आंदोलन
मराठा क्रांति मोर्चा जब हुआ था तो कर्जत कोपरडी के अंदर हमारी एक छोटी बहन के साथ अमानुष तरीके से उसके साथ जबरदस्ती की गई थी। हमारी न्यायपालिका इतनी महान है कि न्यायपालिका ने दंड विधान तो सुनाया नहीं। इसीलिए कुछ दिनों पहले ही जिन्होंने वो कृत्य किया था उन सभी आरोपियों ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बहुत अच्छी बात है। तालियां बजनी चाहिए।
इसके पश्चात मराठा क्रांति मोर्चा महाराष्ट्र के जालना में हो रहा था। जहां पर पुलिस के द्वारा लाठीचार्ज किया गया। दोनों गुटों के अंदर एक के साथ एक मुठभेड़ हुए और उसके पश्चात मराठा क्रांति मोर्चा जो मराठा आरक्षण है इसकी डिमांड फिर से महाराष्ट्र में बढ़ने लगी।
मनोज जरांगे पाटील जी का आमरण उपोषण
अब कुछ दिनों से महाराष्ट्र में जालना के यहां पर एक व्यक्ति जिनका नाम मनोज जरांगे पाटिल है वो अनशन पर बैठ चुके थे। जब तक मराठा आरक्षण नहीं मिलता है तब तक मैं यहां से उठूंगा नहीं। ऐसा प्रण उन्होंने लिया।
दो दिन पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंद जी वहां पर पहुंचते हैं और एकनाथ शिंद जी द्वारा यह आश्वासित किया जाता है कि आपके इस सभी विचारों के ऊपर चर्चा एक महीने के अंदर किया जाएगा। इसके पश्चात उस व्यक्ति ने अपना आमरण उपोषण यहां पर समाप्त किया।
राजनीति और मराठा आरक्षण
बहती गंगा में अपना हाथ धोना और राजनीति की रोटियां सेकना यह तो आप लोगों ने बहुत बार सुना होगा। इसे भी सुन लीजिए। मुझे अब इस बात की चिंता सता रही है कि यह तो एक छोटे से गांव का आंदोलन है। इनका एक नारा है एक मराठा लाख मराठा।
एक मराठा यहां पर बैठा था तो पूरे महाराष्ट्र को हिला दिया। अब अगर लाख मराठा जाके मुंबई में बैठ गए तो तुम्हारी हालत क्या होगी? तुम खुद तसव कर लो।
इम्तियाज जलील का दोहरा चरित्र
अभी आप लोगों ने जिसको सुना है वो इम्तियाज जलील है। छत्रपति संभाजी महाराज नगर जब नामकरण किया गया था औरंगाबाद से तब यही व्यक्ति आंदोलन पर बैठा था और आंदोलन पर बैठकर यह क्या कह रहा था कि हमें औरंगाबाद ही चाहिए क्योंकि यह औरंगजेब का शहर है और अब ये मराठा आंदोलन के ऊपर अपने भाषण दे रहा है।
मराठा आरक्षण मिलना चाहिए ये बात कह रहा है। क्यों पता है? क्योंकि इसने जनवरी 6 को एक पिटीशन फाइल किया था। आप लोग देख सकते हैं कि मुंबई लाइव जनवरी 6 5:43 पर एक आर्टिकल छपा हुआ है जिसमें स्पष्ट रूप से यह उल्लेख किया गया है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के विधायक इम्तियाज जलील ने मराठा आरक्षण के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में एक और याचिका दायर की है।
इस याचिका में मराठा समाज को दिया गया 16 प्रतिशत आरक्षण रद्द करने की मांग की गई है। यह याचिका अधिवक्ता जयश्री पाटिल और गुणरत्न सदावर्ते ने दायर की है और अभी भी बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित है।
जलील की ओर से यह याचिका अधिवक्ता सतीश तालेकर ने दाखिल की है। एआईएमआईएम नेताओं का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर कोई कदम नहीं उठा रही है।
अब यही व्यक्ति है जो यहां पर आकर कह रहा है कि मराठा रिजर्वेशन होना चाहिए। और यही व्यक्ति है जो कोर्ट में जाकर पिटीशन फाइल कर रहा है कि मराठा आरक्षण को कैंसिल कर देना चाहिए।
इसी प्रकार से इन लोगों के द्वारा हमारे जातियों को आपस में लड़वाया जाता है। सनातन धर्म को कमजोर कड़ी बनाने में इनका जितना योगदान है ना सरकार उतना किसी का योगदान नहीं है। इसलिए ऐसे दोगलों से बचकर रहना बहुत अनिवार्य है।
शरद पवार और मराठा आरक्षण
मराठा आरक्षण की बात हो और महाराष्ट्र की राजनीति का उल्लेख हो और उसके अंदर शरद पवार जी का उल्लेख ना हो ऐसा हो नहीं सकता।
चार टर्म मुख्यमंत्री रहने वाले शरद पवार जी महाराष्ट्र के राजनीति के अंदर चाणक्य के नाम से जाने जाते हैं। कुछ उनके भक्त उन्हें जानता राजा भी कहते हैं। कहना भी चाहिए।
एक ऐसे व्यक्तित्व जिन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति को पूरी तरह से बदल के रख दिया। आज भी महाराष्ट्र की प्रत्येक राजनीति उनके इर्दगिर्द ही घूमती रहती है।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह उमड़ता है कि चार टर्म मुख्यमंत्री रहना यानी कि लगभग 20 वर्ष सत्ता करने के बावजूद भी मराठा आरक्षण के ऊपर क्या शरद पवार जी के द्वारा एक भी निर्णय लिया गया या एक भी प्रश्न चिन्ह अंकित किया गया? उत्तर मिलता है? नहीं।
जातिवाद और संगठन
महाराष्ट्र के अंदर जब भी आप लोग देखोगे तो छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास को लेकर जो दुजाभाव होता है जाति जाति आधार के ऊपर जातियों में लड़वाने का काम अगर कोई करती है तो बहुत सारी संगठनाएं जिनका नाम है बामसे संगठना– ऐसी बहुत सारी संगठना का उदम स्थान कहीं से होता है तो यहीं से आरंभ हुआ है।
तो इसी प्रकार से जातियों के अंदर हिंदुओं को लड़वाने का काम अगर किसी ने किया तो आज भी इतिहास में फेरबदल करके इन्हीं के द्वारा किया जाता है।
गुरुवर्य श्री संभाजीराव भेड़े गुरु जी की भूमिका
एक धारकरी होने के नाते गुरुवर्य श्री संभाजीराव भेड़े गुरु जी की इसके अंदर क्या भूमिका है ये समझना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण था।
क्योंकि गुरुवर्य श्री संभाजीराव भेड़े गुरु जी का निषेध और उनका विरोध करने वाले लोग भी केवल उनकी जाति देखकर उनका विरोध करते हैं। लेकिन उन्होंने पहले भी मराठा आरक्षण का समर्थन दिया था और आज भी समर्थन दिया है।
उनका यह कथन स्पष्ट है कि समय के अनुसार नियम और कानून बदलते हैं। समाज को संतुलित रखने और उद्रेक रोकने के लिए परिवर्तन आवश्यक है।
निष्कर्ष
स्पष्ट रूप से यही कहना था कि मेरा यहां पर दृष्टिकोण यही है कि जिन्हें भी आरक्षण मिलता है मैं हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहूंगा कि भाई एक बार आप लोगों ने जब उच्च शिक्षण लेने के लिए गए होंगे और गलती से अगर आप विशिष्ट जाति में जन्म ले चुके हैं तो क्या सजा मिलती है ना हम अच्छे से जानते हैं।
इसलिए मैं अपने समाज का समर्थन कर रहा हूं। इसमें किसी समाज का विरोध नहीं। किसी प्रकार से किसी समाज के ऊपर टारगेट करने का हमारा अधिकार या फिर कोई ऐसा उद्देश्य नहीं है।
केवल मराठा समाज या फिर कोई भी समाज जब अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए रास्तों पर उतरती है और उन्होंने सनातन के लिए रक्षा करने के लिए अपना जीवन समर्पित करना हो तो हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम उनके समर्थन में उतरे और वही समर्थन मैं मराठा आरक्षण को देता हूं।