Supreme Court का बड़ा फैसला: अनंत अंबानी के वंतारा सेंटर की जांच के लिए बनी SIT, हाथियों के व्यापार और वाइल्डलाइफ एक्ट पर उठे सवाल

Supreme Court ka Bada Faisla Anant Ambani ke Vantara Centre ki SIT Inquiry, Haathiyon ke Vyapar aur Wildlife Act par Uthe Sawal
आदेश और तारीख
सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त 2025 को आदेश दिया है कि एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम एसआईटी बनाई जाए जो गुजरात के जामगर में Reliance फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे वंतारा ग्रीस जियोलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहबिलिटेशन सेंटर की जांच करेगी। वंतारा का नेतृत्व कर रहे हैं अनंत अंबानी।
जांच का दायरा
यह एसआईटी खासतौर पर देखेगी कि जंगली जानवरों खासकर हाथियों को भारत और विदेश से लाने में वाइल्ड लाइफफ़ प्रोटेक्शन एक्ट और बाकी कानून का पालन हुआ है या नहीं।
SIT की टीम
इस एसआईटी का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस चलमेश्वर करेंगे। इसमें जस्टिस राघवेंद्र चौहान, पूर्व चीफ जस्टिस उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट के हेमंत नागराले आईपीएस, पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर और अनीश गुप्ता, एडिशनल कमिश्नर कस्टम्स भी सदस्य होंगे।
आदेश देने वाली बेंच
यह आदेश जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना भी वराली की बेंच ने दिया जब वे एडवोकेट सीआर जया सुकीन के एक पिटीशन पर सुनवाई कर रहे थे। इस याचिका में सेंटर के कामकाज पर गंभीर आरोप लगाए गए थे।
कोर्ट का अवलोकन
हालांकि लाइव लॉ के रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि याचिका में केवल आरोप लगाए गए हैं। ठोस सबूत नहीं दिए गए हैं। नॉर्मली ऐसे याचिका पर विचार नहीं किया जाता। लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर सरकारी संस्थाएं या कोर्ट सही तरीके से जांच करने में नाकाम है तो न्याय के हित में एक इंडिपेंडेंट इंक्वायरी कराना जरूरी है। इसी वजह से एसआईटी बनाई जा रही है।
जांच के मुद्दे
एसआईटी को जिन मुद्दों पर जांच करके रिपोर्ट देनी होगी आपको वह बताते हैं:
– भारत और विदेश से जानवरों की खरीदफरोख्त खासकर हाथियों की वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 और उसके अंतर्गत बने ज के नियमों का पालन।
– इनडेंजर्ड या खत्म हो रहे जानवरों के इंटरनेशनल कन्वेंशंस और जिंदा जानवरों के ट्रेड से रिलेटेड कानून के पालन की जांच।
– पशुपालन, पशु चिकित्सा की देखभाल और ओवरऑल एनिमल वेलफेयर स्कीम्स का पालन।
– जानवरों की मौत और उसके कारण, मौसम, जलवायु से जुड़ी शिकायतें और इंडस्ट्रियल एरिया के पास ज की स्थिति पर उठे कंसर्न्स।
– प्राइवेट कलेक्शन, प्रजनन यानी ब्रीडिंग से जुड़ी शिकायतें।
– पानी और कार्बन क्रेडिट के गलत इस्तेमाल से जुड़ी शिकायतें।
– अलग-अलग कानून के उल्लंघन, जानवरों या उनसे बने उत्पादों के व्यापार, वनजीवी तस्करी से जुड़े शिकायतें।
– वित्तीय नियमों के पालन, मनी लॉन्ड्रिंग आदि से संबंधित शिकायतें और पिटीशंस में लगाए गए आरोपों से जुड़े और कई विषय या मामले।
सहयोग करने वाली संस्थाएं
एसआईटी की मदद के लिए सेंट्रल ज़ अथॉरिटी, सीआईटीएस मैनेजमेंट अथॉरिटी, मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज और गुजरात स्टेट, उसके फॉरेस्ट और पुलिस डिपार्टमेंट सहित को पूरा का पूरा कोऑपरेशन करना होगा।
कोर्ट की स्पष्टता
कोर्ट ने साफ कहा कि यह ऑर्डर किसी पिटीशन पर कमेंट नहीं है और ना ही इसे ऐसे समझा जाए कि किसी स्टटरी अथॉरिटी या वंतारा के काम पर कोई भी डाउट किया जा रहा है। कोर्ट ने यह भी क्लियर किया कि उसने अभी तक वंतारा के खिलाफ कंप्लेंट्स पर कोई भी टिप्पणी नहीं की है और एसआईटी की इंक्वायरी सिर्फ फैक्ट फाइंडिंग पर्पस के लिए है।
रिपोर्ट जमा करने की समयसीमा
एसआईटी को अपनी रिपोर्ट 12 सितंबर 2025 तक जमा करनी होगी।
निष्कर्ष
अब इस मामले में आगे जो भी होगा हम सारे अपडेट्स आप तक पहुंचाएंगे। मैं हूं कनुप्रिया। देखते रहिए द लंडन टॉप। शुक्रिया। [संगीत]