Prajwal Revanna उम्र कैद: घरेलू नौकरानी से बार-बार बलात्कार, कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

पूर्व सांसद Prajwal Revanna को घरेलू नौकरानी से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा। बेंगलुरु कोर्ट ने माना कि यह शक्ति का दुरुपयोग था। जानें पूरा मामला, फैसला और राजनीतिक असर।
मामले की गंभीरता और कोर्ट का फैसला
पूर्व सांसद और जनता दल (सेकुलर) के नेता प्रज्वल रेवन्ना को बेंगलुरु की ट्रायल कोर्ट ने घरेलू नौकरानी से बार-बार बलात्कार और वीडियो बनाने के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई है। साथ ही ₹1 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है।
फैसला सुनाने वाले जज: संतोष गजानन भट्ट
तारीख: दोषी करार – 1 अगस्त 2025 | सजा सुनाई गई – 2 अगस्त 2025
अदालत: अतिरिक्त सिटी सिविल और सेशन कोर्ट, बेंगलुरु
क्या था मामला?
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि कोविड लॉकडाउन के समय वह रेवन्ना के फार्महाउस में काम करती थी। उसी दौरान रेवन्ना ने बार-बार बलात्कार किया, वीडियो बनाए और वायरल करने की धमकी दी।
बाद में सोशल मीडिया पर 2900 से ज्यादा वीडियो लीक हुए, जिसके बाद पीड़िता ने हिम्मत कर शिकायत दर्ज कराई।
प्रज्वल रेवन्ना की सफाई और बचाव
- उन्होंने कोर्ट में कहा कि वे मेधावी छात्र रहे हैं और मैकेनिकल इंजीनियर हैं।
- उनका दावा था कि राजनीति में जल्दी आने का खामियाजा भुगतना पड़ा।
- उनकी ओर से वकील ने कहा कि वे समाज सेवा करते रहे हैं और प्रतिष्ठा बर्बाद हो चुकी है।
- लेकिन अदालत ने इन तर्कों को नामंज़ूर कर दिया।
अदालत की टिप्पणी: यह यौन हिंसा नहीं, शक्ति का दुरुपयोग है
कोर्ट ने माना कि यह मामला केवल यौन शोषण का नहीं बल्कि पावर के मिसयूज़ का है। एक ताकतवर व्यक्ति ने अपनी हैसियत का इस्तेमाल कर अपराध किए।
IPC की धाराएँ:
- 376(2)(क) – प्रभावशाली व्यक्ति द्वारा बलात्कार
- 376(2)(n) – बार-बार बलात्कार
- 354A, 354B, 354C, 506
- IT Act की धारा 66E
पिछला राजनीतिक करियर और परिवारिक पृष्ठभूमि
- प्रज्वल एचडी देवगौड़ा के पोते और एचडी कुमारस्वामी के भतीजे हैं।
- 2019 में हासन से सांसद बने थे।
- उन्हें परिवार की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए तैयार किया जा रहा था।
- अब वे पूरी तरह बदनाम हो चुके हैं और देवगौड़ा परिवार की छवि को भारी नुकसान हुआ है।
ट्रायल और गिरफ्तारी
- चार केस दर्ज होने के बाद रेवन्ना जर्मनी भाग गए थे।
- 31 मई 2024 को लौटते ही गिरफ्तार कर लिए गए।
- कोर्ट ने पाया कि वीडियो प्रमाण सही हैं और पीड़िता का बयान विश्वसनीय है।
न्यायपालिका का स्पष्ट संदेश: कानून सबके लिए बराबर
इस फैसले ने यह साबित कर दिया कि चाहे कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून की नजर में सब बराबर हैं।
निष्कर्ष
प्रज्वल रेवन्ना पर आया ये फैसला ना केवल न्याय की जीत है, बल्कि यह एक उदाहरण भी है कि शक्ति का दुरुपयोग करने वालों को कानून बख्शता नहीं। पीड़िता की हिम्मत और SIT की कार्यवाही ने एक बड़ा संदेश दिया है।
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